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Sirate Khawaja Gharib Nawaz (Hindi)

Sirate Khawaja Gharib Nawaz (Hindi)

 

सीरते ख़्वाजा गरीब नवाज
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ
اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ
🌹ख्वाजये हिन्द वो दरबार है आला तेरा
🌹कभी महरूम नहीं मांगने वाला तेरा

 

 

करामात

एक बार आपके मुर्शिद ख्वाज़ा उस्मान हारुनी ने अपने सब मुरीदो को जमा करके कहा के मेने तुम्हे जो इल्म सिखाया है उससे कुछ करामात पेश करो…!
सब मुरीदो ने बारी बारी करामात से कोई चीज़ पेश की किसी ने सोना, किसी ने चांदी, किसी ने हीरे जवाहरात,तो किसी ने दीनारों दिरहम पेश किये,
ख्वाजा मोईनुद्दीन ने रोटी के टुकड़े पेश किये..! सब मुरीद आप पर हंसने लगे.!

इतने में दरवाजे पर एक साइल ने आवाज़ दी के में कई दिनों से भूखा हूं मुझे खाने के लिए कुछ दे दो .! सब ने अपनी अपनी चीज़े उसको देनी चाही मगर उस साइल ने कहा के में इस सोने चांदी हीरे जवाहरात दीनारों दिरहम का क्या करुँ..?
मुझे तो खाने के लिए कुछ दे दो..! फिर ख्वाज़ा मोईनुद्दीन ने रोटी के टुकड़े उस साइल को दे दिए. उसने उसे लेकर आपको बहुत सारी दुआऐं दी.!
इसके बाद ख्वाज़ा उस्मान हारुनी ने फरमाया के ऐ मोईनुद्दीन तुम गरीब नवाज़ हो..

 

अजाबे कब्र से रिहाई
हज़रते सय्यिदुना बख्तियार काकी फ़रमाते हैं :- हज़रते सय्यिदुना ख्वाजा गरीब नवाज़ अपने एक मुरीद के जनाजे में तशरीफ़ ले गए ,नमाज़े जनाज़ा पढ़ा कर अपने दस्ते मुबारक से कब्र में उतारा ।
तदफ़ीन के बाद एक एक कर के सब लोग चले गए ,मगर हुजूर ख्वाजा गरीब नवाज़ कब्र के पास तशरीफ़ फ़रमा रहे। अचानक आप गमगीन हो गए। कुछ देर के बा’द आप की ज़बान पर “اَلْحَمْدُلِلّٰهِ رَبِِّ الْعٰلَمِیْنَ” जारी हुवा और आप मुतमइन हो गए।
मेरे इस्तिफ़्सार पर फ़रमाया :- इस के पास अजाब के फ़िरिश्ते आ गए थे ,जिस की वजह से में परेशान हो गया ,इतने में मेरे मुर्शिदे गिरामी हज़रते सय्यिदुना ख्वाजा उस्मान हारूनी तशरीफ़ लाए और फ़िरिश्तों से कहा :- यह बन्दा मेरे मुरीद मुईनुद्दीन का मुरीद है ,इस को छोड़ दो। फ़िरिश्तों ने कहा :- यह बहुत ही गुनहगार शख्स था ।
यकायक गैब से आवाज़ आई : ऐ फ़िरिश्तो ! हम ने उस्मान हारूनी के सदके मुईनुद्दीन चिश्ती के मुरीद को बख़्श दिया ।
📓खौफ़नाक जादूगर,स.8

 

 

करामात ख्वाजा गरीब नवाज

☆▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬☆

🕋 हर रात तवाफे का’बा;

🧡 हज़रते सय्यिदुना ख्वाजा गरीब नवाज رحمة اللهِ تعالى عليه का कोई मुरीद या अहले महब्बत अगर हज या उमरह की सआदत पाता और तवाफे का’बा के लिये हाज़िर होता तो देखता कि ख्वाजा गरीब नवाजرحمة اللهِ تعالى عليه तवाफे का’बा में मशगूल हैं,

🔮 _उधर अहले खाना और दीगर अहबाब यह समझते कि आप رحمة اللهِ تعالى عليه अपने हुजरे में मौजूद हैं ।
बिल आखिर एक दिन यह राज खुल ही गया कि आप رحمة اللهِ تعالى عليه बैतुल्लाह शरीफ़ हाज़िर होकर सारी रात तवाफे क’बा में मशगूल रहते हैं और सुब्ह अजमेर शरीफ़ वापस आ कर बा जमाअत नमाजे फ़ज़र अदा फरमाते हैं_

📚 [ इक्तिबासुल अन्वार, स. 368 ]

📚 [ फैजाने गरीब नवाज पेज नं 24 ]

 

 

📝एक मरतबा शहर के हाकिम ने एक शख्स की गर्दन उड़ा दी उसकी मां रोती हुई ख्वाजा गरीब नवाज़ की बारगाह में हाज़िर हुई और बेटे की मौत की शिकायत की, आप उसे लेकर फौरन क़त्ल गाह पहुंचे और मक़तूल का सर धड़ से मिलाकर फरमाया कि अगर वाकई तू बेगुनाह क़त्ल हुआ है तो अल्लाह के हुक्म से खड़ा हो जा, आपका इतना कहना था कि फौरन वो लड़का उठकर खड़ा हो गया अब जो हाकिम ने देखा तो आपके क़दमो में गिरकर माफी मांगी

📕महफिले औलिया, सफह 344

छागल में तालाब

हुजूर ख्वाजा गरीब नवाज़ के चन्द मुरीद एक बार अजमेर शरीफ़ के मशहूर तालाब अना सागर पर गुस्ल करने गए तो गैर मुस्लिमों ने शोर मचा दिया कि यह मुसलमान हमारे तालाब को ‘नापाक’ कर रहे हैं ।
चुनान्चे ,वोह हज़रात लौटे और सारा माजरा ख्वाजा गरीब नवाज़ की खिदमत में अर्ज कर दिया।
आप ने एक खादिम को छागल (या’नी पानी रखने बरतन) देते हुवे इरशाद फ़रमाया : इस में तालाब का पानी भर लाओ । खादिम ने जूं ही पानी भरने के लिये छागल तालाब में डाला तो उस का सारा पानी छागल में आ गया। लोग पानी न मिलने पर बे करार हो गए और आप की ख़िदमते सरापा करामत में हाज़िर हो कर फ़रयाद करने लगे ,चुनान्चे ,आप ने खादिम को हुक्म दिया कि जाओ और पानी वापस तालाब में उंडेल दो।
ख़ादिम ने हुक्म की ता’मील की तो अना सागर फिर पानी से लबरैज़ हो गया ।
📓खौफ़नाक जादूगर,स.7
है तेरी ज़ात अजब बहरे हकीक़त प्यारे..!
किसी तैराक ने पाया न किनारा तेरा..!
📓फैजाने ख्वाजा गरीब नवाज़-19

करामात

एक बार आप अपने साथियो के साथ एक दरख्त के नीचे बैठे थे,इतने में राजा के सिपाहियों ने आकर कहा के तुम सब यहाँ से खड़े हो जाओ..
ये जगह राजा के ऊँटो के बैठने की जगह है..!
आप ने फरमाया की ये ऊंट दूसरी कोई जगह पर भी तो बैठ सकते है.. “तो सिपाहियों ने कहा के नहीं ये ऊंट रोजाना यही पर बैठते है.!”

तो आप वहाँ से खड़े हो गए और फरमाया के ठीक है अब ये ऊंट यही पर बैठेंगे, और आप दूर चले गए..!
फिर कुछ वक़्त के बाद सिपाहियों ने ऊँटो को खड़ा करने की कोशिश की तो वो ऊंट वहाँ से खड़े ना हुवे, बहुत कोशिश करने के बाद नाकाम होकर वो सब राजा के दरबार में हाज़िर हुवे और सारा किस्सा बयान किया..! तो उस राजा ने कहा की तुम उस फकीर के पास जाओ और उससे माफ़ी मांगो..!
वो सिपाही आपको तलाश करते हुवे वहाँ पहुंचे और माफ़ी मांगी आपने फरमाया की जाओ तुम्हारे ऊँट खड़े हो गए है, सिपाहियों ने जब जाकर देखा तो ऊंट अपनी जगह से खड़े हो गए थे
इसके बाद आपने बहुत सारी करामते दिखाई जिसमे अना सागर को अपने कांसे में समा लेना और अजयपाल जादूगर के फेंके गए पत्थर को आसमान में ही रोक देना मशहूर है..!
आपने अपने रूहानी फैज़ और करामात से हिन्दुस्तान में इस्लाम की बुनियाद मजबूत की, बुलन्दी और वक़ार अता फरमाया
एक बार आप अना सागर की तरफ से गुजर रहे थे की आपने एक औरत के रोने की आवाज़ सुनी पहचानने पर पता चला की वो औरत बहुत गरीब थी और उसकी गाय मर गई थी,
आप उसके साथ उस गाय के पास गए और अल्लाह से दुआ की तो वो मरी हुई गाय जिन्दा हो गई ये देखकर वो औरत आप के कदमो में गिर गई

611 हिजरी में आप देहली तशरीफ़ ले गए आप 7 वीं सदी के मुजद्दिद भी है, आपने बहुत सारी किताबे भी लिखी है, जिस में अनीसुल अरवाह और दलाइलुल आरेफीन मशहूर है
🤲🏻अल्लाह तआला से दुआ है रसूल ﷺ सल्ललाहो अलैहि वसल्लम के सदके में और ख्वाज़ा गरीब नवाज़ अता ऐ रसूल के सदके में हम सबको पक्का और सच्चा आशिके रसूल ﷺ बनाये, और सबके ईमान की हिफाजत फरमाये, और सबको दुनिया और आख़िरत में कामयाबी अता फरमाये आमीन आमीन…
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ख्वाजा ग़रीब नवाज़ – 1

ख्वाजा ए हिन्द वो दरबार है आला तेरा
कभी महरूम नहीं मांगने वाला तेरा

नाम – हसन
लक़ब -मुईनुद्दीन, हिन्दल वली,गरीब नवाज़
वालिद – सय्यद गयासुद्दीन हसन
वालिदा – बीबी उम्मुल वरा (माहे नूर)
विलादत – 530 हिजरी,खुरासान
विसाल – 6 रजब 633 हिजरी,अजमेर शरीफ

वालिद की तरफ से आपका सिलसिलए नस्ब इस तरह है मुईनुद्दीन हसन बिन गयास उद्दीन बिन नजमुद्दीन बिन इब्राहीम बिन इदरीस बिन इमाम मूसा काज़िम बिन इमाम जाफर सादिक़ बिन इमाम बाक़र बिन इमाम ज़ैनुल आबेदीन बिन सय्यदना इमाम हुसैन बिन सय्यदना मौला अली

वालिदा की तरफ से आपका नस्ब नामा युं है बीबी उम्मुल वरा बिन्त सय्यद दाऊद बिन अब्दुल्लाह हम्बली बिन ज़ाहिद बिन मूसा बिन अब्दुल्लाह मखफी बिन हसन मुसन्ना बिन सय्यदना इमाम हसन बिन सय्यदना मौला अली ,गोया कि आप हसनी हुसैनी सय्यद हैं

📕 तारीखुल औलिया,सफह 74

मसालेकस सालेकीन में हैं कि आप और हुज़ूर ग़ौसे पाक आपस में खाला ज़ाद भाई हैं और वहीं सिर्रूल अक़ताब की रिवायत है कि ख्वाजा गरीब नवाज़ एक रिश्ते से हुज़ूर ग़ौसे पाक के मामू होते हैं

📕 मसालेकस सालेकीन,जिल्द 2,सफह 271
📕 सिर्रूल अक़ताब,सफह 107

आपकी वालिदा फरमाती हैं कि जिस दिन से मेरे शिकम में मुईनुद्दीन के जिस्म में रूह डाली गयी उस दिन से ये मामूल हो गया कि रोज़ाना आधी रात के बाद से सुबह तक मेरे शिकम से तस्बीह व तहलील की आवाज़ आती रहती,और जब आपकी विलादत हुई तो पूरा घर नूर से भर गया,आपके वालिद एक जय्यद आलिम थे आपकी इब्तेदाई तालीम घर पर ही हुई यहां तक कि 9 साल की उम्र में आपने पूरा क़ुरान हिफ्ज़ कर लिया,मां का साया तो बचपन में ही उठ गया था और 15 साल की उम्र में वालिद का भी विसाल हो गया

📕 मीरुल आरेफीन,सफह 5

वालिद के तरके में एक पनचक्की और एक बाग़ आपको मिला जिससे आपकी गुज़र बसर होती थी,एक दिन उस बाग़ में दरवेश हज़रत इब्राहीम कन्दोज़ी आये गरीब नवाज़ ने उन्हें अंगूर का एक खोशा तोड़कर दिया,हज़रत इब्राहीम सरकार गरीब नवाज़ को देखकर समझ गए कि इन्हें बस एक रहनुमा की तलाश है जो आज एक बाग़ को सींच रहा है कल वो लाखों के ईमान की हिफाज़त करेगा,आपने फल का टुकड़ा चबाकर गरीब नवाज़ को दे दिया जैसे ही सरकार गरीब नवाज़ ने उसे खाया तो दिल की दुनिया ही बदल गयी,हज़रत इब्राहीम तो चले गए मगर दीन का जज़्बा ग़ालिब आ चुका था आपने बाग़ को बेचकर गरीबो में पैसा बांट दिया,खुरासान से समरक़न्द फिर बुखारा इराक पहुंचे और अपने इल्म की तकमील की

📕 अहसानुल मीर,सफह 134

आप एक मर्शिदे हक़ की तलाश में निकल पड़े और ईरान के निशापुर के क़रीब एक बस्ती है जिसका नाम हारूनाबाद है,जब आप वहां पहुंचे तो हज़रत ख्वाजा उस्मान हारूनी को देखा और उन्होंने आपको,मुर्शिदे बरहक़ ने देखते ही फरमाया कि आओ बेटा जल्दी करो मैं तुम्हारा ही इंतेज़ार कर रहा था अपना हिस्सा ले जाओ हालांकि इससे पहले दोनों की आपस में कभी कोई मुलाक़ात नहीं हुई थी,खुद सरकार गरीब नवाज़ फरमाते हैं कि “जब मैं उस महफिल में पहुंचा तो बड़े बड़े मशायख बैठे हुए थे मैं भी वहीं जाकर बैठ गया तो हज़रत ने फरमाया कि 2 रकात नमाज़ नफ्ल पढ़ो मैंने पढ़ा फिर कहा किबला रु होकर सूरह बक़र की तिलावत करो मैंने की फिर फरमाया 60 मर्तबा सुब्हान अल्लाह कहो मैंने कहा फिर मुझे एक चोगा पहनाया और कलाह मेरे सर पर रखी और फरमाया कि 1000 बार सूरह इखलास पढ़ो मैंने पढ़ी फिर फरमाया कि हमारे मशायख के यहां फक़त एक दिन और रात का मुजाहदा होता है तो करो मैंने दिन और रात नमाज़ों इबादत में गुज़ारी,दूसरे रोज़ जब मैं हाज़िर हुआ क़दम बोसी की तो फरमाया कि ऊपर देखो क्या दिखता है मैंने देखा और कहा अर्शे मुअल्ला फिर फरमाया नीचे क्या दिखता है मैंने देखा और कहा तहतुस्सरा फरमाते हैं अभी 12000 बार सूरह इखलास और पढ़ो मैंने पढ़ी फिर पूछा कि अब क्या दिखता है मैंने कहा कि अब मेरे सामने 18000 आलम हैं फरमाते हैं कि अब तेरा काम हो गया” उसके बाद भी सरकार गरीब नवाज़ 20 साल तक अपने मुर्शिद के साथ ही रहें

📕 अनीसुल अरवाह,सफह 9

 

आपकी 2 बीबियां है और 3 बेटे और 1 बेटी है..!

बीबी अमातुल्लाह से निकाह 590 हिजरी में हुआ आपके बतन से
⓵ ख्वाजा फकरुद्दीन
⓶ ख्वाजा हिसामुद्दीन
⓷ बीबी हाफीजा जमाल हुवे

दूसरी बीबी असमतुल्लाह से निकाह 620 हिजरी में हुआ और आपके बतन से
हजरत खवाजा जियाउद्दीन अबू सईद हुए

ख़्वाजा गरीब नवाज़ खवाजा उसमाने हारुनी के मुरीद और खलीफा है,

आप से हिन्दुस्तान में चिश्तिया सिलसिला जारी है..

आपके बहुत सारे मुरीदो ने हिन्दुस्तान में दीने इस्लाम की इशाअत का काम जारी रखा !
आप के 2 खलीफा मशहूर है :-
⓵ हजरत ख्वाज़ा कुतबुद्दीन बख्तियार काकी (देहली)
⓶ हजरत ख्वाज़ा
हमीदुद्दीन नागौरी (नागौर)

इसके अलावा आपके सिलसिले (खलीफा के खलीफा) में बहुत सारे औलिया अल्लाह मशहूर है .
⓵ हजरत ख्वाज़ा फरीदुद्दीन गंजे शकर (पाक पट्टन पाकिस्तान)
⓶ हजरत ख्वाज़ा अलाउद्दीन साबिर कलियरी
⓷ हजरत ख्वाज़ा शम्सुद्दीन तुर्क पानीपती
⓸ हजरत ख्वाज़ा निजामुद्दीन औलिया (देहली),
⓹ हजरत ख्वाज़ा नसीरुद्दीन चिराग देहलवी
⓺ हजरत अमीर खुसरो (देहली)
⓻ हजरत बुरहानुद्दीन गरीब खुलदाबाद (महाराष्ट्र),
⓼ हजरत जलालुद्दीन फतेहबाद (महाराष्ट्र),
⓽ हजरत मोहम्मद हुसैनी गेसू दराज बंदा नवाज गुलबर्गा (कर्नाटक)
⓵⓪ हजरत सैय्यद अहमद बड़े पा लांसर (हैदराबाद)
⓵⓵ हजरत सिराजुद्दीन अकी सिराज (आइना ऐ हिन्द) (गौड़, वेस्ट बंगाल)
⓵⓶ हजरत मखदूम अशरफ सिमनानी (किछौछा)
आपका विसाल 6 रजब 633 हिजरी (मार्च 16,1236) को 97 बरस की उम्र में हुआ..!

आपका मजार अजमेर (राजस्थान) में है विसाल के बाद भी आपका फैज़ और करामात जारी है, आपके मज़ार पर हाज़िर होने वालो और आप के वसीले से दुआ मांगने वालो को अल्लाह तआला हर नेक जायज मुराद अता फरमाता है..!
🤲🏻अल्लाह तआला से दुआ है कि रसूल सल्ललाहो अलैहि वसल्लम के सदके में और ख्वाज़ा गरीब नवाज़ अता ऐ रसूल के सदके में हम सबको पक्का और सच्चा आशिके रसूल बनाये, और सबके ईमान की हिफाजत फरमाये, और सबको दुनिया और आख़िरत में कामयाबी अता फरमाये..आमीन

 

 

हिन्दुस्तान में तशरीफ आवरी
हजरते सरकारे ख्वाजा गरीब नवाज़ की हिन्दुस्तान में तशरीफ आवरी के सिलसिले में बेशुमार ,मुख़्तलिफ और मुतज़ाद रिवायतें बयान की गई हैं अलग अलग तारीख नवीसों और तज्किरा निगारों ने अपनी अपनी अलाहदा तहकीकात की रौशनी में मुख़्तलिफ आरा और ख़यालात का इज़हार किया है मसलन बाअज़ लोगों का कौल है कि हज़रत ख्वाजा गरीब नवाज़ चार बार हिन्दुस्तान तशरीफ लाए पहली बार मुहर्रम 561 हि0 में और आखरी बार 587 हि0 में
📓बरिवायते तारीखे फरिश्ता व मुईनुल अरवाह

बाअज़ कहते हैं कि हज़रत ख्वाजा गरीब नवाज़ 602 हि0 में हिन्दुस्तान तशरीफ लाए
📓सैरुल आरिफीन

एक ख़याल यह भी है कि हज़रत ख्वाजा गरीब नवाज़ सुल्तान शहाबुद्दीन गौरी के लश्कर के साथ 587 हि0 में हिन्दुस्तान तशरीफ लाए और अजमेर में पृथ्वीराज के ज़वाल के बाद पहुँचे
📓तब्काते नासिरी ,मुन्तख़बुत्तवारीख , इन्डिया ऑफ औरंगज़ेब वगैरह

चौथा नज़रिया जो करीने केयास है वह यह है कि हज़रत ख्वाजा गरीब नवाज़ 587 हि0 में पृथ्वीराज के दौरे इक्तेदार में तशरीफ लाए ।
📓मिफ्ताहुत्तवारीख,अकबरंनामा, तुजके जहाँगीरी ,सैरूल आलिया,अस्रारूल औलिया,फवाइदुस्सालिकीन,सैरुल अकताब,अख़्बारुल अख्यार और तज्किरतुल किराम वगैरह
📓सीरते ख़्वाजा-216

👉🏻दाता के मजार पर ख्वाजा की हाजिरी
इसी सफर में आप ने हज़रते दाता गन्ज बख्श सय्यिद अली हिजवेरी (लाहौर) के मज़ारे अक्दस पर न सिर्फ हाज़िरी दी बल्कि 40 दिन मुराकबा भी किया और हज़रते सय्यिदुना दाता गन्ज बख्श (लाहौर) का खुसूसी फैज़ हासिल किया।
📓मिरआतुल अस्रार,स 598
मज़ारे पुर अन्वार से रुख्सत होते वक्त दाता गन्ज बख़्श की अजमत व फैजान का बयान इस शे’र के जरीए किया :
गन्ज बख़्श फैज़े आलम ,मज़हरे नूरे खुदा.
नाकिसां रा पीरे कामिल ,कामिला रा रहनुमा.!
या’नी गन्ज बख्श दाता अली हिजवेरी का फैज़ सारे आलम पर जारी है और आप नूरे खुदा के मज़हर हैं ,आप का मकाम येह है कि राहे तरीक़त में जो नाक़िस हैं उन के लिये पीरे कामिल और जो खुद पीरे कामिल हैं उन के लिये भी राहनुमा हैं।

अगर अल्लाह वालों के हालाते ज़िन्दगी का मुशाहदा किया जाए तो येही बात सामने आती है कि इन की ज़िन्दगी के मा’मूलात और रोज़ मर्रह की आदात ,अहकामाते रब्बे जुल जलाल और सुन्नते रसूले बे मिसाल के ऐन मुताबिक़ होती हैं। ख्वाजा गरीब नवाज़ रहमतुल्लाहि अलैहि की सारी ज़िन्दगी इसी का मज़हर है।
📓फैजाने ख्वाजा गरीब-12

 

🌹ख्वाजा गरीब नवाज के पीर व मुरशिद ख्वाजा उस्मान हारूनी🌹

ख्वाजा उस्मान हारूनी एक मर्तबा बग़दाद के सफर में थे आपके चन्द खलीफा भी आपके साथ थे,
रास्ते पे एक जगह पड़ाव किया आप और आपके मुरीद रोज़े से थे आपने उनसे थोड़ी सी आग ढूंढ कर लाने को कहा,
मुरीद एक जगह पहुंचे जहां आग जल रही थी जब उन्होंने थोड़ी आग उनसे मांगी तो उन लोगों ने देने से मना कर दिया और कहा कि ये हमारा माबूद खुदा है हम इसकी पूजा करते हैं लिहाज़ा हम तुम्हे नहीं दे सकते,
वो वापस आये और पीर से सारा हाल बयान कर दिया, आप उठे और उन आतिश परश्तों के पास पहुंचे और उनके सरदार जिसका नाम मखशिया था उससे फरमाया कि इस आग को पूजने से क्या फायदा तो कहने लगा कि ये हमारी निजात का ज़रिया है तो आप फरमाते हैं कि तुम बरसो से इसकी पूजा करते हो क्यों ना तुम और मैं इस आग में अपना हाथ डालें अभी पता चल जायेगा कि ये इबादत करने के लायक़ है या नहीं
तो सरदार बोला कि आग की फितरत जलाना है सो ये जलायेगी आप फरमाते हैं कि बेशक इसकी फितरत जलाना है मगर मेरा रब वो है कि इस आग को भी बाग बना सकता है,
ये कहकर आपने उसकी गोद में बैठे हुए उसके बच्चे को उठा लिया और आग में तशरीफ ले गए,
मनो मन लकड़ियां जहां जल रही हो उसकी तपिश का क्या आलम होगा कहने की ज़रूरत नहीं,
इधर सरदार और उसके मानने वालों ने रोना पीटना शुरू कर दिया कि मुसलमान भी मारा गया और हमारे बेटे को भी ले गया,
करीब घंटे भर बाद उसी आग से ख्वाजा उस्मान हारूनी बाहर निकले और बच्चा भी आपकी गोद में था जो निहायत ही खुश व खुर्रम था,
जब सरदार ने बच्चे से पूछा कि तू इतना खुश क्यों है तो कहने लगा कि मैं एक बाग में था जहां तरह तरह की नेअमतें मौजूद थी तो सरदार ने ख्वाजा उस्मान हारूनी से पूछा कि वो बाग क्या था तो आप फरमाते हैं कि वो जन्नत थी,
अगर तुम सब भी कल्मा पढ़कर मुसलमान होते हो तो उस बाग में ले जाने की ज़िम्मेदारी मेरी,
आपकी खुली हुई करामत देखकर वो पूरा का पूरा कबीला कल्मा पढ़कर मुसलमान हो गया_*

📕खुतबाते अजमेर,सफह 89

 

 

👑ख्वाजा गरीब नवाज ने फरमाया

1)👉 जो बन्दा रात को बा तहारत सोता है, तो फ़िरिश्ते गवाह रहते हैं और सुब्ह अल्लाह عزوجل से अर्ज करते हैं ऐ अल्लाह عزوجل इसे बख्श दे यह बा तहारत सोया था।)

2)👉 नमाज़ एक राज की बात है जो बन्दा अपने परवर दगार से कहता है, चुनान्चे, हदीसे पाक में आया है । :إِنَّ الْمُصَلَّى يُتَابِئ تَبَه” या’नी नमाज़ पढ़ने वाला अपने परवर दगार से राज की बात कहता है ।

3)👉 जो शख्स झूटी कसम खाता है वह अपने घर को वीरान करता है और उस के घर से खैरो बरकत उठ जाती है।

4)👉 मुसीबत जदा लोगों फरियाद सुनना और उन का साथ देना हाजत मन्दों की हाजत रवाई करना,भूकों को खाना खिलाना, असीरों को कैद से छुड़ाना येह बातें अल्लाह عزوجل,के नज़दीक बड़ा मर्तबा रखती हैं

5)👉 नेकों की सोहबत नेक काम से बेहतर और बुरे लोगों की सोहबत बदी करने से भी बदतर है।

6)👉 बद बख्ती की अलामत यह है कि इन्सान गुनाह करने के बा वुजूद भी अल्लाह عزوجل की बारगाह में खुद को मक्बूल समझे।

7)👉 खुदा का दोस्त वोह है जिस में येह तीन खूबियां हों : सखावत दरया जैसी, शफकत आफ़ताब की तरह और तवाज़ो जमीन की ‘मानिन्द !

📚 [ हश्त बिहिश्त, स.75,77,84 ]
📚 [ मुईनुल हिन्द हज़रते ख्वाजा मुईनुद्दीन अजमेरी स. 124 ]
📚 [ फैजाने गरीब नवाज पेज नं 18-19 ]

 

 

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