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Mahe Rajab Ki Barkat or fazilat/माहे रजब की बरकत

Mahe Rajab Ki Barkat or Fazilat

 

Mahe Rajab Ki Barkat or Fazilat/माहे रजब की बरकत

 

रजब मुबारक़

माहे रजब बहुत सवाब व बरक़त वाला महीना है इस माह में बन्दों पर खुदा की रहमत बहाई जाती है
इस महीने को सब्बुन भी कहते है सब्बुन के मानी हैं बहाना
अल्लाह तआला इस माह में बन्दों को ऐसी अजमतें और सवाब अता फरमाता है जो न आंखों ने देखी और न कानों ने सुना है न किसी शख्स के दिल में उनका तसव्वुर आया!!

रसूलुल्लाह ﷺ सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फरमाया “महीनों की गिनती जिस दिन से अल्लाह तआला ने ज़मीन व आसमान को पैदा फरमाया अल्लाह की किताब में बारह महीने हैं, इन बारह महीनों में से चार हुरमत वाले हैं, एक रजब है और उसके बाद तीन मुसलसल हैं यानी जीकदा,जील हिज्जा और मोहर्रम रजब अल्लाह का महीना है और शाबान मेरा है और रमजान मेरी उम्मत का महीना है।
(गुनियातुलतालिबीन सफ़ह 370)

 

👉🏽मकाशफतुल कुलूब में है कि रजब के माना है : ताज़ीम करना।

👉🏽इसको अल असब (यानि सब से तेज़ बहाव) भी कहते है, इस लिये इस माहे मुबारक में तौबा करने वालो पर रहमत वालो पर रहमत का बहाव तेज़ हो जाता है और इबादत करने वालो पर क़बूलिय्यत के अन्वार का फैजान होता है।
👉🏽 इसे अल असम्म (यानि खूब बहरा) भी कहते है क्यू की इसमें जंगो जदल की आवाज़ बिलकुल सुनाई नहीं देती और इसे रजब भी कहा जाता है कि जन्नत की एक नहर का नाम “रजब” है जिस का पानी दूध से ज्यादा सफेद, शहद से ज्यादा मीठा और बर्फ से ज्यादा ठंडा है, इस नहर से वोही शख्स पानी पियेगा जो रजब के महीने में रोज़े रखेगा।

👉🏽गुन्यतूत्तालिबिन में है कि इस माह को “शहरे रजम” भी कहते है क्यू की इस में शैतानो को रजम यानी संग सार किया जाता है ताकि वो मुसलमानो को इज़ा न दे।
इस माह को असम्मा (खूब बहरा) भी कहते है क्यू की इस माह में किसी क़ौम पर अल्लाह तआला के अज़ाब के नाज़िल होने के बारे में नहीं सुना गया,
☝🏽अल्लाह عزوجل ने गुज़श्ता उम्मतों को हर महीने में अज़ाब दिया और इस माह में किसी क़ौम को अज़ाब न दिया।

📚रजब की बहारे, सफा 3

 

 

 

📜रजब के महीने में बीस रकअत नमाज़ पढ़ने का तरीका

📿 रसूलुल्लाह ﷺ सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया

💎 ऐ सलमान! रजब का चांद तुलू हो गया अगर इस महीने में कोई मोमिन मर्द या औरत बीस रकअत नमाज़ इस तरह पढ़े कि हर रकअत में सूरह फातिहा और सूरह इखलास तीन बार और सूरह अल काफिरुन तीन बार पढ़े तो अल्लाह तआला उसके तमाम गुनाहों को महव फरमा देता है और उसको इतना अज़्र अता फरमायेगा कि जैसे उसने पूरे महीने के रोजे रखे और उसका शुमार आईन्दा साल तक नमाज पढ़ने वालों में होगा ( यानी उसको साल भर की नमाज़ों का सवाब मिलेगा )
( 📚तिर्मिज़ी 4499 सहीह )

 

रजब की बहारें
☆▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬☆

☝🏽🕋रजब अल्लाह का महीना है

🌹हज़रते अनस رضي الله تعالي عنه से मरवी है की हुज़ूर ﷺ ने फ़रमाया :
☝🏽अल्लाह के पसंदीदा महीनो में रजब का महीना है, ये अल्लाह का महीना है। जिसने अल्लाह के महीने रजबुल मुरज्जब की ताज़ीम की , उसने अल्लाह के हुक्म की ताज़ीम की।
👉🏽और जिसने खुदा के हुक्म की ताज़ीम की अल्लाह उस को नेमतों वाले बागात में दाखिल करेगा और उस के लिये अपनी बड़ी रिज़ा वाजिब करेगा।

📘शोएबुल ईमान, 3/374 हदिष:3813

यक़ीनन इस हदीसे पाक से माहे रजबुल मुरज्जब की जबरदस्त शानो अज़मत का पता चलता है और इस तरह कि यू तो तमाम ही महीने अल्लाह عزوجل के है और सब को उसी ने पैदा फरमाया है, लेकिन खुसुसिय्यत के साथ रजब के बारे में फ़रमाया गया कि रजबुल मुरज्जब अल्लाह عزوجل का महीना है।

👉🏽नीज़ हदीसे पाक में ये भी बयान किया गया है कि जिस ने इस महीने क…

 

 

 

माहे रजब की फज़ीलत

रजाबुल मुरज्जब उन चार महीनों में से एक है जिनको कुरआन मजीद ने ज़िक्र फरमाया, यानी चार मोअज्जम महीनो मे से एक मोअज्ज़म महीना रजब है। और कुतुब हदीस में भी रजब की बड़ी फजीलत वारिद है चंद मुबारक हदीसें हदिया नाज़िरीन हैं !

नबी ए मुख़्तार ﷺ सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया…
1. “रजब अल्लाह तआला का महीना है और शाबान मेरा महीना है और रमज़ान मेरी उम्मत का महीना है।”

2. “बेशक रजब अज़मत वाला महीना है इसमें नेकियों का सवाब दोगुना होता है जो शख़्स रजब का एक दिन रोज़ा रखेगा (गोया) उसने साल भर के रोज़े रखे।”

3.”इस महीने में अल्लाह तआला ने हज़रत मुहम्मद ﷺ सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को माबऊस फरमाया” !

4. “रजब की फजीलत बाकी महीनों पर ऐसी है जैसे मुहम्मद मुस्तफा ﷺ की फजीलत बाकी
अंबियाए किराम पर है और रमज़ान शरीफ की फज़ीलत बाकी महीनों पर ऐसी है जैसी अल्लाह तआला की फजीलत तमाम बंदों पर है।

★ रजबुल मुरज्जब के महीने में ही हमारे और आपके आक़ा हुज़ूर ﷺ को अल्लाह तआला ने मेराज़ शरीफ़ का मोजिज़ा अता फ़रमाया !

📚 तीन नूरानी राते 4,5,11

 

 

27 रजब के रोजे की फ़ज़ीलत
🗓️ 2023 इस साल 27 रजब उल मुरज्जव 19 फरवरी दिन इतवार (Sunday) को है! यानी इतवार वाले दिन 27 रजब का रोज़ा है

💝 हुजूर ﷺ सल्लल्लहो अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि जिसने सत्ताईसवीं रजब का रोजा रखा उसको साठ महीनों के रोज़ों का सवाब मिलेगा!

📜 अब्दुल्लाह इब्ने अब्बास का मामुल था कि जब सत्ताईसवीं रजब आती तो वह ऐतकाफ में बैठे होते थे और बाद नमाजे ज़ोहर नफ्ल पढ़ने में मशगूल हो जाते इसके बाद वह चार रकअतें पढ़ते और हर रकअत में सूरह फ़ातिहा एक मरतबा सूरतुल कद्र तीन बार और सूरह इखलास पचास मरतबा पढ़ते थे फिर अस्र तक दुआओं में मशगूल रहते उन्होंने फरमाया कि सरवरे कौनेन ﷺ सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम का यही मामूल था!

📿 रसूलुल्लाह ﷺ सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम का इरशाद है कि माहे रजब में एक दिन और एक रात ऐसी है कि अगर उस दिन का कोई रोजा रखे और उस रात को इबादत करे तो उसको एक सौ बरस रोजे रखने वाले और सौ साल की रातों में इबादत करने वाले के बराबर अज़्र मिलेगा । यह रात वह है जिसके बाद रजब की तीन रातें रह जाती हैं ( यानी सत्ताईसवीं शब )

(📚गुनियतुलत्तलिबिन सफ़ह 382)

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